नेपोलियन बोनापार्ट

नेपोलियन बोनापार्ट

  • 'सत्ता मेरी रखैल है! इसे वश में करने के लिए मुझे इतनी दिक्कत उठानी पड़ती है कि मैं न तो उसे किसी को छीनने दूंगा और न अपने साथ भोगने दूंगा।'

जन्मः

  •  15 अगस्त 1769 ई. को कोर्सिका द्वीप के अजासियों नामक नगर में कार्लो बोनापार्ट और लेटीजिया रमोलिनों के घर हुआ।
  • सैन्य शिक्षा में दक्ष होने से 16 वर्ष की उम्र में ही वह फ्रांस की तोपची सेना में 1785 में सेकिन्ड लेफ्टिनेन्ट बन गया।
  • इतिहास को उसने ‘शील विज्ञानों की आधारशिला, सच्चाई की ज्योति और पक्षपात का शत्रु’ कहा।
  • 1793 ई. में अंग्रेजो ने तूलों के बन्दरगाह पर अधिकार कर लिया था परन्तु नेपोलियन ने तीन महीने के अंदर अंग्रेजों को तूलों से निकाल दिया। इस सफलता के कारण उसे ब्रिगेडियर जनरल का पद दिया गया, जो उसकी पहली विजय थी।
  • फ्रांस और आस्टिृया के बीच कैम्पोफोर्मियों की संधि 17 अक्टूबर 1797 ई. में सम्पन्न हुई। इस संधि के अनुसार आस्टिृया ने बेल्जियम पर जिसे फ्रांस पहले से जीत चुका था फ्रांस का अधिकार स्वीकार कर लिया।
  • आस्टिृया ने फ्रांस को राईन नदी के दक्षिण तट का दो-तिहाई भाग, जो पवित्र रोमन साम्राज्य का क्षेत्र था, देना स्वीकार किया, उत्तरी इटली के, प्रदेश जो उस समय आस्टिृया के अधिकार में थे, फ्रांस को प्राप्त हुए।
  • यह संधि नेपोलियन की सैनिक सफलता के साथ-साथ राजनैतिक पटुता तथा महान् कूटनीतिक विजय की प्रतीक थी।
  • जुलाई 1798 ई. में उसने मिस्र के प्रसिद्ध एलेक्जेण्डिृया पर अधिकार कर लिया और फिर मिस्रियों को पिरामिडों के युद्ध में परास्त करके काहिरा को हस्तगत कर लिया।
  • ऐसा मालूम पड़ता हैं कि हर कोई मेरी प्रतीक्षा कर रहा था। यदि मै कुछ समय पूर्व आता, तो बहुत शीघ्रता होती, यदि मैं कुछ समय बाद आता, तो बहुत देर हो जाती। मैं ठीक समय पर आया हूं, अब नाशपाती पक चुकी हैं- नेपोलियन
  • उसने अपने समर्थकों के सहयोग से भ्रश्ट डायरेक्टरी का अंत किया। षासन-शक्ति तीन कौन्सनों को सौंपी गयी और नेपोलियन को प्रधान कौन्सल नियुक्त किया गया।
  • राष्ट्र के लिए नया संविधान बनाने का काम भी कौन्सलों के सुपुर्द कर दिया गया। उसने एक खूबसूरत विधवा स्त्री जोजेफिन से विवाह कर लिया।

1799 ई. का संविधानः

  • नेपोलियन ने अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिए एक संविधान का निर्माण किया, जो क्रांति युग का चौथा संविधान था, जिसकी रूपरेखा के लिए नेपोलियन ने अपने सहयोगी, ‘अबासिए’ को नियुक्त किया।
  • व्यवस्थाविका में तीन सदन सीनेट, लेजिस्लेटिव असेम्बली और ट्रिब्यूलेट रखे थे। सीनेट विधि निर्माण हेतु सर्वोच्च संस्था, जिसके अधिकांश सदस्य प्रथम कौंसल द्वारा नियुक्त होने थें। द्वितीय सदन को केवल मताधिकार था। तृतीय सदन में कानूनों पर बहस हो सकती थी, इसे मताधिकार नही था। प्रजातंत्र दिखाई देता था लेकिल वास्तविक शक्ति नेपोलियन के हाथों में थी। मताधिकार 21 वर्ष था। इस संविधान द्वारा सीनेट ने कार्यपालिका की शक्तियां तीन निर्वाचित कौंसलों को, जिनकी कार्यावधि 10 वर्ष थी, सौंप दी। ये कौंसल थे-
प्रथम कौंसल नेपोलियन बोनापार्ट
द्वितीय कौंसल केम्बेसरी और
तृतीय कौंसल लैब्रून।
  • राज्य की समस्त शक्तियां प्रथम कौंसल को सौंप दी गयी।
  • नेपोलियन से आस्ट्रिया ने फरवरी, 1801 ई. में ल्यूनविले नामक स्थान पर संधि की।
  • 27 मार्च,1802 ई. में फ्रांस और इंग्लैण्ड में अमीन्स की सन्धि सम्पन्न हुई, जिसके अनुसार इंग्लैण्ड ने प्रथम बार नेपोलियन के नेतृत्व में गठित फ्रांसीसी सरकार को मान्यता प्रदान की। इंग्लैण्ड ने माल्टा को लौटाने का आश्वासन दिया।
शासन सुधार
  • उसने केन्द्रीय शासन को शक्तिशाली बनाया एवं घोषणा की ‘फ्रांस को समानता चाहिये, न कि स्वतंत्रता।’
  •  नेपोलियन ने ऐसा सुदृढ़ एवं सुव्यवस्थित शासन स्थापित करने का प्रयास किया, जिसमें जनता सुरक्षा का अनुभव करते हुए अपना जीवन शांति से बिता सके। फ्रांस को 83 प्रांतों में बांटा, जिसमें 318 उपप्रान्त और अनेक केन्टन थे।
  • प्रथम कौंसल के रूप में नेपोलियन के निम्नलिखित कार्य उल्लेखनीय रहेः
आर्थिक सुधारः
  • क्रांति के समय फ्रांस की आर्थिक दशा बहुत खराब हो गई थी। नेपोलियन ने देश की आर्थिक दशा को सुदृढ करने का प्रयास किया। आय व्यय एवं मुद्रा प्रणाली को व्यवस्थित किया।
  • इंग्लैण्ड से आयात पर प्रतिबंध लगाया। स्वदेशी उद्योगां को प्रोत्साहित किया। करों की वसूल करने का ठीक प्रबन्ध न था, मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा था, कृषि और व्यापार नष्ट हो गये थे। अतः नेपोलियन ने देश की अर्थव्यवस्था को ठीक करने का प्रयास किया। उसने मितव्ययता पर ध्यान दिया। कर वसूल करने का कार्य केन्द्रीय सरकार के पास रहा।
  • अप्रत्यक्ष कर समाप्त किए गये। प्रत्यक्ष कर लगाये गये जिन्हें कठोरता से वसूल किया गया।
  • आर्थिक क्षेत्र पर सरकारी नियंत्रण की स्थापना के उद्देश्य से नेपोलियन ने 1800 ई. में बैंक ऑफ फ्रांस का गठन किया जिसे वित्त सम्बन्धी अनेक अधिकार दिये गये।

शिक्षा सम्बन्धी सुधारः

  • उसने शिक्षा को चर्च के प्रभाव से मुक्त करके उस पर राजकीय नियंत्रण स्थापित किया। शिक्षा के राष्ट्रीय और धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को स्वीकार करतें हुए नेपोलियन ने शिक्षा को चार स्तरों में विभाजित किया- प्राथमिक, माध्यमिक, तकनीकी और विश्वविद्यालय। उच्च शिक्षा के लिए पेरिस विश्वविद्यालय का पुनर्गठन किया गया। प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की देखरेख हेतु प्रिफेक्ट या सब-प्रिफेक्ट नियुक्त किए गए। प्रत्येक नगर में ‘लाईसी’ या सीनियर सैकन्डरी स्तर के विद्यालय खोले गये।
  • उसने निर्धन और प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था की और शोध कार्यों के लिए एक पृथक संस्थान भी स्थापित किया।
  • प्रत्येक नगर में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय स्थापित किये गये। व्यावसायिक शिक्षा के लिए व्यावसायिक स्कूलों और सैनिक शिक्षा के लिए मिलिटरी स्कूलों की स्थापना की गई।

धार्मिक नीति व पोप के साथ समझौताः

  • केटलबी ने लिखा है कि नेपोलियन धर्म को केवल उपयोगी राजनीतिक साधन, राष्ट्र की कल्पना को आकृष्ट करने वाला केन्द्र, सामाजिक बंधन और रक्षा का माध्यम मानता था।
  • नेपोलियन राज्य की बहुसंख्यक जनता पर पोप का प्रभाव था, उससे अवगत था। उसने एक बार कहा था कि लोग कहेंगे कि 'मैं पोपवादी हूं। मैं ऐसा कुछ नहीं हूं। मैं मिस्र में मुसलमान और फ्रांस में कैथोलिक हूं।'
  • नेपोलियन और पोप पाइस-9 के मध्य 1802 ई. में धार्मिक समझौता हुआ, जो कान्कार्डेट के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस समझौते के अन्तर्गत कैथोलिक धर्म को राजकीय धर्म के रूप में स्वीकार किया गया।

धार्मिक समझौते के अन्तर्गत उसने धर्म के क्षेत्र में कई सुधार कियेः

  1. कैथोलिक चर्च के अनुयायियों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई।
  2. धर्माधिकारियों को वेतन राजकीय कोश से दिया जाने लगा तथा उन्हें राज्य प्रमुख के प्रति स्वामिभक्ति की शपथ लेना अनिवार्य कर दिया गया।
  3. धर्माधिकारियों को धार्मिक कर वसूल करने का अधिकार दे दिया गया।
  4. पादरियों की नियुक्ति सरकार की अनुमति से बिशप करेंगे।
  5. नेपोलियन ने पोप के राज्य को मान्यता दे दी। पादरी संविधान के प्रतिनिश्ठा की शपथ लेंगे।
  6. पोप से फ्रांस में विशेष आज्ञाएं जारी करने का अधिकार ले लिया गया।
  • नेपोलियन का यह धार्मिक समझौता अत्यन्त महत्वपूर्ण माना गया। इससे फ्रांस के अधिकांश लोग, जो रोमन चर्च के अनुयायी थे, नेपोलियन के समर्थक हो गये। उनको अपहृत भूमि वापस मिल जाने से ओर भी खुशी हुई। यह समझौता एक धार्मिक समझौता नही, वरन् एक राजनीतिक समझौता था।


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