महासागरीय जलधाराएं

महासागरीय जलधारा की उत्पत्ति के कारण


  • सागरों में जल के क्षैतिज रूप से एक निश्चित दिशा में प्रवाह को महासागरीय धारा कहा जाता है।

धारा की उत्पत्ति के कारण-

  1. पृथ्वी का परिभ्रमण
  2. तापमान की भिन्नता 
  3. लवणता में भिन्नता
  4. घनत्व में भिन्नता
  5. स्थायी हवाएं, वाष्पीकरण तथा वर्षा।

अ. उत्तरी अटलांटिक महासागर की जलधाराएं -

  • विषुवत रेखा से गर्म जल की धाराएं बनती हैं जो हल्की होकर ऊपर उठती हैं और ध्रुवों की ओर चल देती है। यह धारा उत्तरी विषुवत धारा कहलाती है।
गर्म जलधाराएं- 

1. उत्तरी विषुवतीय जलधारा-

  • उत्तर पूर्वी वाणिज्यिक पवन के क्षेत्र में विषुवत रेखा से उत्तर में एक गर्म धारा उत्पन्न होती हे जिसे उत्तरी विषुवतीय जलधारा कहते हैं। 
  • इसका विस्तार 0 डिग्री से 10 डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच पश्चिमी अफ्रीका से ब्राजील तट तक पाया जाता है। यह धारा पूर्व से पश्चिम की ओर चलती हैं। 
  • उत्तर-पूर्वी वाणिज्यिक पवनों के प्रभाव तथा इस क्षेत्र में होने वाली अत्यधिक वर्षा के कारण इस धारा की उत्पत्ति होती है। इसमें से 20 प्रतिशत भाग वापस अपने स्थान की ओर आता है, जिसे प्रति विषुवत जलधारा कहते हैं।

2. फ्लोरिडा धारा -

  • यह उत्तरी अटलांटिक महासागर की गर्म जलधारा है। इसका विस्तार युकाटन चैनल से कैपहैटरस तक पाया जाता है। 
  • उत्तरी विषुवतीय जलधारा एवं मिसीसिपी-मिसौरी नदी द्वारा मैक्सिकों की खाड़ी में जल भर जाने के कारण जल की सतह ऊपर उठ जाती है जिससे फ्लोरिडा धारा की उत्पत्ति होती है।
  • इस धारा के प्रभाव से दक्षिण-पूर्वी अमेरिका में चीन तुल्य जलवायु एवं मध्य अमेरिका में मानसूनी जलवायु की उत्पत्ति होती है तथा गर्मी में वर्षा होती है। यह धारा विषुवत रेखा के उष्ण जल को पूर्व से पश्चिम की ओर धकेलती है।

3. गल्फ स्ट्रीम जलधारा-

  • गल्फ स्ट्रीम कोई एक धारा नहीं है बल्कि कई गर्म धाराओं का समूह फ्लोरिडा जलधारा एवं एंटलीस जलधारा के आपस में मिलने से इस धारा का प्रवाह वेग पति घण्टा 8 किमी तक होता है। 
  • इसका प्रभाव क्षेत्र संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी किनारे हैटरस अंतरीप से ग्रैण्डबैंक (450 पश्चिमी देशान्तर) तक हैं। जब यह धारा लैब्रोडोर की ठण्डी जलधारा से मिलती है तो इसके प्रभाव से कुहरा भरे वातावरण का निर्माण होता है जिससे ग्रैंडबैंक के निकट मत्स्य उद्योग का विकास हुआ हैं।
  • इस जलधारा की खोज पोंस डी लिओन ने 1513 ई. में की।

सारगैसो सागर
सारगैसो सागर

  • उत्तरी अटलांटिक महासागर में उत्तरी विषुवतीय जलधारा गल्फ स्ट्रीम तथा केनारी धाराओं के चारों ओर प्रवाहित होने वाला जलधाराओं के मध्य स्थित शांत एवं स्थिर जल के क्षेत्र को सारगैसो सागर कहा जाता है।
  • सारगैसो (पुर्तगाली शब्द) का शाब्दिक अर्थ है समुद्री घास। अटलांटिक महासागर में इस प्रकार की जड़ विहिन घासों की बहुलता वाले क्षेत्र है जो गोलाकार रूप में हैं। सारगैसों स्वतः उत्पन्न होती रहती है और इनके कारण समुद्री यातायात में बहुत बाधा आती है।

4. उत्तरी अटलांटिक प्रवाह-

  • इस गर्म धारा की उत्पत्ति 45 डिग्री अक्षांश एवं 45 डिग्री पश्चिमी देशान्तर के निकट होती है। उत्पत्ति के बाद यह पूर्व एवं उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती है। इस धारा को आगे बढ़ाने में पश्चिमी पवनों का सक्रिय योग हैं। आगे बढ़कर यह प्रवाह कई शाखाओं में विभाजित हो जाता है। 
  • जैसे- नार्वेनियन धारा, इरमिंजर धारा, रेनेल धारा। 
  • इसके प्रभाव से यूरोप में वर्ष भर वर्षा होती है तथा जलवायु आनन्ददायक हो जाती है।
  • नार्वे का तटवर्ती क्षेत्र वर्षभर बर्फ के प्रभाव से मुक्त रहता है तथा उत्तर अटलांटिक जलधारा को हिमशिला खण्डों के प्रभाव से मुक्त रखता है। इसे यूरोप का गर्म कम्बल भी कहा जाता है।

ठण्डी जलधाराएं -

1. लेब्राडोर जलधारा

  • यह ठण्डी जलधारा ग्रीनलैण्ड के उत्तर-पश्चिम में बैफिन की खाड़ी में डेविस जलडमरूमध्य से दक्षिण की ओर लैब्राडोर तट के सहारे प्रवाहित होती है। हिमशिला खण्ड़ों के पिघलने के कारण इस जल धारा की उत्पत्ति होती है। 
  • यह ध्रुवीय क्षेत्र से हिमशिलाओं को बहाकर लाती हैं और न्यूफाउण्डलैण्ड के सहारे ग्रैण्डबैंक से दक्षिण 50 डिग्री पश्चिमी देशान्तर के निकट गल्फस्ट्रीम से जा मिलती है। गल्फस्ट्रीम धारा से मिलकर यह सारगैसो सागर का निर्माण करती हैं जो मत्स्य उद्योग के लिए आदर्श परिस्थितियां उत्पन्न करता है।

2. ग्रीनलैण्ड जलधारा

  • इस ठण्डी जलधारा का विस्तार ग्रीनलैण्ड के पूर्व से लेकर उत्तरी अटलांटिक प्रवाह तक पाया जाता है। उत्तरी अटलांटिक ड्रिफ्ट (प्रवाह) इसमें आकर मिल जाती है। उ.पू. ध्रवीय हवाओं के प्रभाव एवं हिम के पिघलने से इस धारा की उत्पत्ति होती है। इसके प्रभाव से ग्रीनलैण्ड एवं आइसलैण्ड के तटवर्ती क्षेत्रों में शीत लहर एवं हिमपात होता है। उत्तरी अटलांटिक ड्रिफ्ट और ग्रीनलैण्ड धारा द्वारा डागर बैंक का निर्माण करते हैं। इस क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन अधिक होता है। 
  • विश्व में सर्वाधिक मछली निर्यातक देश नॉर्वे है।

3. केनारी जल धारा

  • यह ठण्डी जलधारा अफ्रीका के तट के सहारे मेडीरा से केपवर्डे तक बहती है। यह गल्फ स्ट्रीम तथा उत्तरी अटलांटिक धारा की उपधारा है जोकि क्रमशः पश्चिमी यूरोपियन तट से टकाराकर दक्षिणी दिशा में उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा में समाहित हो जाती है। इस धारा की उत्पत्ति का कारण वाणिज्यिक हवाओं द्वारा अफ्रीका के पश्चिमी तट के निकट से सतह के जल के हटने के कारण नीचे के ठण्डे जल का ऊपर आना हैं। इसके प्रभाव से ही सहारा मरूस्थल का अफ्रीका के पश्चिमी तट तक विस्तार पाया जाता है तथा तटवर्ती क्षेत्रों में कुहासा छााया रहता है।

नोट

  • महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर सदैव ठण्डी धारा बहती है।
  • मरूस्थल सबसे अधिक मिलते है।
  • आबादी कम होती है।
  • पूर्वी भाग में सदैव गर्मधारा प्रवाहित होती है।
  • घने जंगल, वर्षा अधिक और
  • सघन आबादी मिलती है।

ब. दक्षिण अटलांटिक महासागर

  • गर्म जलधाराएं निम्न अक्षांशों में उष्ण कटिबंधों से उच्च अक्षांशीय, समशीतोष्ण और उपध्रुवीय कटिबंधों की ओर बहती है, जबकि ठण्डी जलधाराएं उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर बहती है।
गर्म जलधाराएं

1. दक्षिणी विषुवतीय जलधारा

  • इस गर्म जलधारा का विस्तार 0-12 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के बीच अंगोला तट से ब्राजील तट तक पाया जाता है। यह जलधारा दक्षिण पूर्वी वाणिज्यिक पवन के प्रभाव से उत्पन्न होकर पश्चिम दिशा की ओर बहती हुई ब्राजीन के सेनरॉक अन्तरीप द्वारा दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है।

2. ब्राजील की जलधारा

  • यह गर्म जलधारा दक्षिणी विषुवतीय जलधारा की ही एक शाखा हैं जिसका विस्तार सेनरॉक अन्तरीप से 40 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक पाया जाता है। 
  • ब्राजील धारा 35 डिग्री अक्षांश पर पृथ्वी के परिभ्रमण के फलस्वरूप पूर्व की ओर मुड़ जाती है और पछुआ पवन से प्रेरित होकर दक्षिण अटलांटिक धारा में मिलकर पश्चिम-पूर्व की ओर बहने लगती है। 
  • इसके प्रभाव से ब्राजील के तटवर्ती क्षेत्रों में वर्षभर उच्च तापमान रहता है तथा गर्मी में वर्षा होती है फॉकलैण्ड द्वीप के निकट इसके फॉकलैण्ड ठण्डी जलधारा से मिलने के कारण कुहरे का निर्माण होता है। कालाहारी मरूस्थल में बुशमैन जनजाति पायी जाती है।

ठण्डी जलधारा

3. फॉकलैण्ड जलधारा

  • दक्षिण अटलांटिक महासागर में पछुआ पवनों के क्षेत्र में पश्चिम से पूर्व की ओर ठण्डी धारा फॉकलैण्ड द्वीपों के निकट द्विभाजित हो जाती है। 
  • उत्तर की ओर प्रवाहित होने वाली धारा फॉकलैण्ड कहलाती है। यह धारा अपने साथ ध्रुवीय क्षेत्रों से हिमपिण्ड व शिलाएं बहाकर लाती हैं। 
  • दूसरी शााखा ब्राजील की धारा से मिलकर पूर्व में अण्टार्कटिक महासागर की ओर अग्रसर होती है।

4. बेंगुएला की ठण्डी जलधारा

  • इस जलधारा का विस्तार अफ्रीका एवं नामिबिया के पश्चिमी तट पर पाया जाता है। स्थलीय अवरोध एवं घनत्व की भिन्नता के कारण इस धारा की उत्पत्ति होती है। 
  • इस धारा का नामकरण अंगोला के तटीय भाग में स्थित बेंगुएला नामक नगर के आधार पर किया गया है। इस ठण्ड़ी जलधारा के प्रभाव से नामिब मरूस्थल का निर्माण हुआ है। यह धारा आगे चलकर
  • दक्षिणी विषुवतीय जलधारा से मिल जाती है। 

5. अण्टार्कटिक ड्रिफ्ट या पश्चिमी पवन प्रवाह 

  • अण्टार्कटिक महासागर में पृथ्वी के घूर्णन तथा पछुआ पवनों के कारण पश्चिम से पूर्व की ओर निर्बाध व तीव्र गति की एक ठण्डी जलधारा प्रवाहित होती है। जिसे पश्चिमी पवन प्रवाह कहते है। वास्तव में यह ठण्डी धारा सम्पूर्ण भूमण्डल की परिक्रमा करती है।

स. प्रशान्त महासागर की जलधाराएं

गर्म जलधाराएं

1. उत्तरी विषुवतीय गर्म जलधारा

  • उत्तर-पूर्वी वाणिज्यिक पवन के कारण इस जलधारा की उत्पत्ति होती है, जो विस्तृत महासागर में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर मैक्सिको तट से फिलीपींस तट तक प्रवाहित होती है। यह संसार की सबसे लम्बी जलधारा हैं।

2. क्यूरोशियों जलधारा

  • इस गर्म जलधारा की उत्पत्ति उत्तरी विषुवतीय जलधारा द्वारा जल का जमाव करने से होती है। इसका विस्तार ताइवान के दक्षिण से 45 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक पाया जाता है। 
  • जापान तट के बाद यह धारा पछुआ पवनों के प्रभाव से दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है। 
  • क्यूरोशियों जलधारा की एक शाखा जापान सागर में चली जाती है, जिसे सुशिया जलधारा कहते हैं। 
  • इस जलधारा में दो ठंडी जलधाराओं (ओयाशियो एवं ओखोत्स) के मिल जाने से इस जलधारा की विशेषताओं में परिवर्तन हो जाता है। इसके प्रभाव से चीनतुल्य जलवायु की उत्पत्ति होती है। 
  • यह धारा होकैडों के तट पर ओयाशियों जलधारा से मिलकर कुहरे का निर्माण करती है।

3. उत्तरी प्रशांत प्रवाह

  • 40 डिग्री उत्तरी अक्षांश के पास जब क्यूरोशियों जलधारा अपने पूर्ण मार्गों का अनुगमन करती हुई उत्तरी प्रशांत तट पार कर उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट जा पहुंचती है, तो इस धारा को उत्तरी प्रशांत प्रवाह के नाम से जाना जाता है। 
  • इस गर्म जलधारा को पश्चिमी पवनें आगे बढ़ने में मदद करती है। इस धारा के प्रभाव के चलते अलास्का तट पर बंदरगाह वर्ष भर खुला रहता है। 
  • यहां गर्म-ठण्डी हवाओं के मिलने से मत्स्य उद्योग का विकास हुआ है।

ठण्डी जलधाराएं

1. ओयाशियो जलधारा

  • इस धारा का विस्तार बैरिंग स्टेट से लेकर होकैडो तट तक पाया जाता है। इसे ‘कमचटका धारा’ भी कहते हैं। उत्तर में इसे ‘क्यूराइल धारा’ भी कहते है। इस जलधारा के तट से जापान सर्वाधिक मछली का उत्पादन करता है।
  • जापान के उत्तर में 50 डिग्री अक्षांश पर यह दक्षिण से आने वाली गर्म क्यूरोसियो धारा से मिलती है। जिससे घना कुहरा उत्पन्न होता है। इस धारा के साथ बड़ी-बड़ी हिम शिलाएं आती है, जिसके प्रभाव से साइबेरिया एवं सखालीन तट पर शीतलहर एवं हिमपात का सदैव प्रकोप बना रहता है।

2. कैलिफोर्नियया जलधारा

  • यह ठण्डी धारा ध्रुवों की ओर से आने वाले ठण्डें जल के ऊपर उठने से उत्पन्न होती है। वास्तव में यह उत्तरी प्रशान्त महासागरीय प्रवाह की दक्षिणी भाग है।
  • कैलिफोर्निया तट पर उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित हाते हुए यह उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा में मिल जाती है। 
  • इस धारा के प्रभाव से कैलिफोर्निया तट पर कुहरा छाया रहता है। इस धारा के प्रभाव के चलते कम वर्षा होने के कारण कैलिफोर्निया मरूस्थल का निर्माण हुआ है।

दक्षिणी विषुवतीय जलधारा

  • इस गर्म जलधारा का विस्तार पेरू एवं इक्वेडोर के तट से पापुआ न्यूगिनी तक पाया जाता है। यह धारा पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। इसकी उत्पत्ति दक्षिण-पूर्वी वाणिज्यिक पवन तथा पृथ्वी की घूर्णन गति के प्रभाव के कारण होती है।

अलास्का की धारा

  • यह गर्म जलधारा अलास्का तट के सहारे प्रवाहित होते हुए उत्तरी प्रशांत महासागर में उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट पर अलास्का की खाड़ी में मिल जाती है। 
  • इस धारा के प्रभाव से अलास्का के तट वर्ष भर खुले रहते हैं इसी धारा के कारण कनाड़ा का पश्चिमी भाग गर्म रहता है।

पूर्वी आस्ट्रेलियाई जलधारा

  • इस गर्मधारा का विस्तार आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर 40 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक पाया जाता है। यह जलधारा दक्षिणी विषुवतीय धारा के भंवरो से उत्पन्न होकर आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के सहारे बहती हुई न्यूजीलैंड तक जाती है। इसके बाद यह पश्चिमी पवन के क्षेत्र में पहुंचकर पूर्व की ओर मुड़ जाती है। 
  • इस पर पृथ्वी के परिभ्रमण का भी प्रभाव पड़ता है। इसे पश्चिमी पवन प्रवाह कहा ताजा है। इसके प्रभाव के कारण आस्ट्रेलिया में चीन तुल्य जलवायु पायी जाती है।

अल निनो धारा

  • यह एक अस्थायी धारा है। इसका विस्तार पेरू के तट पर 3-36 डिग्री दक्षिण अक्षांश के बीच पाया जाता हैं। 
  • विषुवतीय क्षेत्र में वायुदाब से होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप दक्षिणी विषुवतरेखीय धारा कमजोर हो जाती है और विषुवतीय प्रदेश का जल 3-36 डिग्री दक्षिण अक्षांश के बीच प्रवाहित होने लगता है, जिससे इस धारा की उत्पत्ति होती है। इस जलधारा के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित है-
  • 1. पेरू धारा का लोप
  • 2. पेरू एवं चिली के तटवर्ती क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा
  • 3. तटवर्ती भागों में प्लवक, मछलियों एवं पक्षियों का विकास
  • 4. मानसूनी जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव

पेरू धारा

  • यह ठण्डी जलधारा दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी (पेरू) तट पर दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है। इस जलधारा की खोज ‘हम्बोल्ट’ ने की थी। इसी कारण इस धारा को ‘हम्बोल्ट की धारा’ भी कहते है। 
  • इस धारा का तापमान एवं लवणता कम है। 
  • व्यापारिक पवनों द्वारा तटवर्ती सतह के जल को दूर प्रवाहित करने के परिणामस्वरूप अंटार्कटिक प्रवाह का आंतरिक ठंडा जल सतह के ऊपर आता है, जिससे इस ठंडी जल धारा की उत्पत्ति होती है। 
  • इसके प्रभाव से तटवर्ती भागों में कुहरा छाया रहता है परन्तु वर्षा का अभाव पाया जाता है, जिससे अटाकामा मरूस्थल का निर्माण हुआ है। यह जबसे सूखा मरूस्थल है।

अंटार्कटिक प्रवाह

  • प्रशांत महासागर में पछुआ पवनों के कारण पश्चिम से पूर्व की ओर ठंडी धारा प्रवाहित होती है। इसकी एक शाखा हार्न अंतरीप के निकट द्विभाजित होती है। इसकी एक शाखा हार्न अंतरीप के दक्षिण में बहती हुई, अटलांटिक महासागर में प्रवेश करती है तथा दूसरी शाखा दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर उत्तर की ओर मुड़कर पेरू की धारा से मिल जाती है।

हिन्द महासागर की जलधारा

दक्षिण विषुवतीय जलधारा

  • विस्तार अफ्रीका एवं ऑस्ट्रेलिया के तट के मध्य 10-15 डिग्री अक्षांशों के बीच पाया जाता है। दक्षिण-पूर्वी वाणिज्यिक पवन प्रभाव से इसकी उत्पत्ति होती है। इसके प्रभाव से ही तंजानिया एवं मोजांबिक के तटवर्ती क्षेत्रों में वर्षा होती है।

मोजाम्बिक जलधारा

  • यह गर्म जलधारा अफ्रीका के पूर्वी तट तथा मेडागास्कर (हिन्द महासागर का सबसे बड़ा द्वीप) के मध्य प्रवाहित होती है। यह उत्तर से आकर दक्षिण में दक्षिण विषुवतरेखीय धारा से मिल जाती है। इसके प्रभाव से ही दक्षिण अफ्रीका का पूर्वी तट सदा खुला रहता है तथा मोजांबिक के तटवर्ती क्षेत्रों में वर्षा होती है।

मालागासी धारा

  • यह धारा भी दक्षिण विषुवतीय धारा की एक शाखा है जिसका विस्तार मेडागास्कर के पूर्वी तट पर पाया जाता है। इसके प्रभाव से मेडागास्कर के तट पर चक्रवात की उत्पत्ति होती है।

अगुलहास जलधारा

  • इसकी उत्पत्ति मोजांबिक एवं मालागासी जलधाराओं के आपस में मिलने से होती है। यह जलधारा दक्षिण अफ्रीका के तट से दक्षिण की ओर प्रवाहित होते हुए पूर्व की ओर मुड़ जाती है तथा आगे बढ़ते हुए पश्चिमी पवन प्रवाह के रूप में ऑस्ट्रेलिया तक चली जाती है। 
  • इस धारा के प्रभाव से दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी तट पर चीन तुल्य जलवायु की उत्पत्ति होती है तथा तटवर्ती क्षेत्रों में वर्षा होती है।

पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की धारा

  • इस ठंडी धारा का विस्तार ऑस्ट्रेलिया पश्चिमी तट पर पाया जाता है। 40 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के निकट पछुवा पवनों के प्रभाव क्षेत्रों में पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित ठंड़ा अंटार्कटिक प्रवाह अथवा पश्चिमी पवन प्रवाह 110 डिग्री पश्चिमी देशान्तर पर ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट से टकराकर द्विभाजित हो जाता है। 
  • मुख्य शाखा आगे पूर्व की ओर प्रवाहित होती है। दूसरी शाखा उत्तर की ओर ऑस्ट्रेलिया के तट के सहारे बहती हुई दक्षिणी विषुवत रेखीय धारा से मिल जाती है।

Post a Comment

0 Comments