फासीवाद

फासीवाद


  • फासी - फासी शब्द ‘एक सीयो फासेज’ शब्द से बना है। यह फ्रांस का एक दक्षिणपंथी दल था। उसके कार्य फासी प्रवृत्ति के कहलाए।
  • फासिस्ट शब्द उस नाम से बना है जो प्राचीन रोमनों ने सरकार के प्राधिकार और शक्ति के एक प्रतीक का रखा था।
  • यह प्रतीक युद्ध के फरसे के चारों और लिपटी हुई छड़ों के गट्ठर के रूप में था।

फासीवाद का अर्थ-

  • अंग्रेजी के ‘फासिज्म’ शब्द ‘फासी’ शब्द लैटिन भाषा का है जिसका अर्थ छड़ियों का बण्डल या समूह और एक कुल्हाड़ी होता है।
  • प्राचीन रोमवासी इसे अनुशासन का प्रतीक मानते थे। मुसोलिनी के अनुसार ‘फासीवाद कोई ऐसा सिद्धान्त नहीं है जिसकी प्रत्येक बात को विस्तारपूर्वक पहले से ही स्थिर कर लिया गया हो। फासीवाद का जन्म कार्य किए जाने की आवश्यकता के कारण हुआ इसलिए फासीवाद आरम्भ से ही सैद्धान्तिक होने के बजाया व्यावहारिक है।’
  • मुसोलिनी ‘हम फासीवादियों में परम्परागत राजनीतिक सिद्धान्तवादियों की मान्यताओं को तोड़ने का साहस है। हम अभिजात्यतंत्रवादी भी है और प्रजातंत्रवादी भी, क्रांतिकारी भी और प्रतिक्रियावादी भी, श्रमजीवी भी और श्रमिक विरोधी भी, हम लोगों का एक स्थिर दृष्टि बिन्दु है- राष्ट्र, अन्य सब बातें 
  • इबन्स्टीन - ‘फासीवाद एक एकाकी दल के अधिनायकत्व के अन्तर्गत शासन तथा समाज का सर्वाधिकारवादी संगठन है जो अत्यधिक राष्ट्रवादी, जातिवादी, सैनिकवादी तथा साम्राज्यवादी है।
  • मुसोलिनी - ‘फासीवाद एक धार्मिक कल्पना है जिसमें व्यक्ति को एक उच्चतर कोटि की विधि से सम्बन्धित देखा जाता है। यह विधि व्यक्ति की लक्ष्यात्मक इच्छा होती है और वह उसे एक आध्यात्मिक समाज की जागरूक सदस्यता प्रदान करती है।’
  • स्वतंत्रता, समानता और बन्धुता के विरूद्ध फासीवाद ने उत्तरदायित्व, अनुशासन और व्यवस्था का नारा लगाया।
  • मुसोलिनी - ‘फासीवाद 19वीं शताब्दी के प्रजातांत्रिक उदारवाद से बचने का एकमात्र मार्ग है।’
  • फासीवाद प्रजातांत्रिक उदारवाद का विरोधी है।

फासीवाद के उत्थान की पृष्ठभूमिः-

  • 20वीं शताब्दी से इटली में फासीवाद के अभ्युदय में मुसोलिनी की भूमिका ही सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थी।
  • मध्ययुग में इटली के कवि दांते के विचारों में सर्वप्रथम फासीवाद के कुछ लक्षण मिलते हैं।
  • 16वीं शताब्दी के आरम्भ में इटली को एक शक्तिशाली राष्ट्रीय राज्य के रूप में निर्मित करने के उद्देश्य से वहां के एक प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ मैकियावली ने ‘प्रिंस तथा डिस्कोर्सेज’ नामक रचनाएं प्रस्तुत की थी।
  • 1861 ई. में राजा विक्टर इमैनुएल ने इटली में इंग्लैण्ड के नमूने का संसदीय लोकतंत्र स्थापित किया।

इटली में फासिस्टवाद के उदय के कारण -

  • प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् इटली मे फासिस्टवाद या फासीवाद का उत्कर्ष हुआ।
  • कैटलबी (ए हिस्ट्री ऑफ मॉर्डन टाइम्स) -‘प्रारम्भ में फासीवाद जन्मजात प्रवृत्ति के रूप में उदित हुआ, किन्तु बाद में वह एक वाद अथवा एक सिद्धांत और विशिष्ट प्रकार की शासन प्रणाली के रूप में विकसित हुआ।
  • प्रथम विश्वयुद्ध में इटली मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ा था इसके पश्चात् असन्तोष और निराशा के वातावरण में फासीवाद का जन्म हुआ। इसके लिए मुख्यतः निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे-

पेरिस के शान्ति सम्मेलन से निराशा-

  • 1915 ई. में हुए लन्दन के गुप्त समझौते के कारण इटली मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में सम्मिलित हुआ था।
  • इस गुप्त सन्धि के अनुसार इटली को ट्रेण्टिनो, ट्रीस्ट, इरस्ट्रिया प्रायःद्वीप, फ्यूम के अतिरिक्त डाल्मेशिया के तटीय क्षेत्र, ब्रेनर के दर्रे तक टिरोल क्षेत्र और अल्बानिया आदि दिये जाने थे किन्तु विल्सन ने इस गुप्त सन्धि को मानने से इनकार कर दिया। इटली को केवल ट्रेण्टिनो, डाल्मेशिया के तट का कुछ भाग एवं दक्षिणी टिरोल से संतोष करना पड़ा।
  • फ्यूम, जिस पर इटली निवासी आस लगाए बैठे थे नहीं मिला, उसे अल्बानिया पर मैण्डेट शासन का अधिकार नहीं दिया।
  • फ्यूम, न मिलने से जनता में निराशा उत्पन्न हुई, जिसका लाभ उठाकर सितम्बर 1919 ई. को डी अन्नूजियों नामक इटली के एक कवि ने फ्यूम पर अधिकार कर लिया, क्योंकि फासिस्ट डी अन्नूजियों के साथ थे।

युद्धोपरान्त आर्थिक असन्तोष-

  • युद्ध में उसे काफी जन और धन की हानि हुई थी।
  • युद्ध में उसके 6,50,000 व्यक्ति मारे गये, 10 लाख घायल हुए तथा 12 अरब डालर का आर्थिक व्यय हुआ तथा 3 अरब डालर की सम्पत्ति नष्ट हुई। इस भारी व्यय के अनुपात में उसे प्राप्त प्रदेश नगण्य थे।
  • राष्ट्रीय ऋण बहुत बढ़ गया तथा देश में उद्योग और व्यापार भी अव्यवस्थित हो गये।
  • इटली की मुद्रा का मूल्य 70 प्रतिशत कम हो गया।
  • वस्तुओं के दाम बढ़ गये। बेरोज़गारों की संख्या बढ़ गई।
  • इटली के लोग- युद्ध में तो उसने विजय प्राप्त की परन्तु शान्ति को खो दिया।
  • जनता अब एक ऐसे शक्तिशाली शासन की कामना करने लगी जो उन्हें इन कठिनाइयों से मुक्ति दिलाये।
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राष्ट्रीयता पर आघात -

  • 19वीं शताब्दी में यूरोप का प्रायः प्रत्येक देश अपने आर्थिक हितों की पूर्ति तथा राष्ट्रीय गौरव की वृद्धि के लिए साम्राज्य विस्तार का प्रयास कर रहा था। अतः इटली ने भी ट्यूनिस पर अधिकार करना चाहा। परन्तु 1881 में जर्मनी की प्रेरणा से फ्रांस ने उस पर अधिकार कर लिया।
  • तत्पश्चात् इटली ने अबीसीनिया पर अधिकार करने के लिए उस पर आक्रमण किया, परन्तु अबीसीनिया ने 1896 ई. में अडोवा के युद्ध में इटली को पराजित कर दिया। इस पराजय से इटली के राष्ट्रीय सम्मान को आघात पहुंचा।
  • इन सभी आघातों के लिए इटली की जनतंत्रीय सरकार ही दोषी थी।

हीगेल के सिद्धांतों का प्रचार -

  • जन्मः जर्मनी में
  • वह राज्य को विश्वात्मा अर्थात् ईश्वर का पार्थिव रूप मानता था। नागरिक तथा राज्य के अधिकारों के मध्य कभी संघर्ष नहीं हो सकता क्योंकि व्यक्ति के वही अधिकार हो सकते है जोकि राज्य उसको प्रदान करता है। हीगेल का सिद्धांत व्यक्ति को राज्य के एकदम अधीन करता है।
  • इटली में प्रचार - जेन्टिल तथा प्रेजोलीन ने किया।
  • हीगेल के सिद्धान्तों मे और फासिस्ट दल के सिद्धान्तों में काफी समानता थी, जिसका लाभ और प्रोत्साहन फासिस्ट दल को मिला।

साम्यवाद का प्रभाव -

  • यह कहना अत्युक्ति न होगा कि मुसोलिनी की फासिस्ट पार्टी को सर्वाधिक सफलता दिलाने का कार्य साम्यवाद के विस्तृत प्रचार एवं प्रसार ने किया।
  • साम्यवाद के बढ़ते प्रभाव से इटली का प्रभुवर्ग (पूंजीपति-जमींदार को) पूर्णतया डर चुका था।
  • कैटलबी- ‘इटली का फासिज्म प्रारम्भ में साम्यवाद की प्रतिक्रिया थी और उसने एक प्रकार से साम्यवाद के बढ़ते हुए प्रभाव का क्षीण किया। किन्तु फासिज्म वास्तव मे इससे अधिक कुछ और था।’
  • साम्यवादी विचारधारा के प्रचार ने इटली के लोगों की राष्ट्रीय भावनाओं को बढ़ाया।

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